बिचौलियों से कैसे बचें Initiator des Themas: Kamta Prasad (X)
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Kamta Prasad (X) Indien Local time: 01:42 Englisch > Hindi + ...
प्रिय मित्रों, मुझे ऐसा जान पड़ता है कि एक या दो भाषाओं में काम करने वाले जेनुइन अनुवादकों की बजाय उन लोगों को अधिक काम मिलता है जो कि जॉब को मैनेज करते हैं अर्थात तथाकथित भारतीय अनुवाद एजेंसि�... See more प्रिय मित्रों, मुझे ऐसा जान पड़ता है कि एक या दो भाषाओं में काम करने वाले जेनुइन अनुवादकों की बजाय उन लोगों को अधिक काम मिलता है जो कि जॉब को मैनेज करते हैं अर्थात तथाकथित भारतीय अनुवाद एजेंसियों को। भारतीय एजेंसियां अपने पास लॉयन शेयर रख लेती है और क्वालिटी को ध्यान में लाये बगैर लो रेट कोट करने वालों से काम करती हैं।
आउटसोर्सर अपने सभी भाषाओं के काम को एक जगह सौंप कर निश्चिंत हो जाता है।
जरा तफसील से अपनी बात रखते हैं - अगर किसी आउटसोर्सर को ढेर सारी भारतीय भाषाओं में काम चाहिए होता है तो वह एक-एक भाषा के काबिल अनुवादकों को पकडने की बजाय किसी एक एजेंसी को काम पकडा देता है और फिर वही होता है जिसे हम सभी भुगत रहे होते हैं। डेढ दो रुपये में काम लेकर हमें 50 से 70 पैसे आफर किया जाता है और हमारी इंसानी गरिमा से खिलवाड किया जाता है। इसका कोई तोड़ हमें निकालना होगा।
दिल्ली में ढेर सारे ऐसे लोग सक्रिय हैं जिन्हें अनुवाद नहीं आता और उनके पास ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है कि एजेंसी चला सकें, किये गये कामों की क्वालिटी जांच सकें लेकिन हमारी मेहनत का बड़ा हिस्सा खा जाते हैं और हमारे आत्म-सम्मान को भी ठेस पहुंचाते रहते हैं। वे सिर्फ इस बात का फायदा उठाते हैं कि आउटसोर्सर अपने सभी भाषाओं के काम को एक जगह देना चाहता है खिच-खिच से बचने के लिए।
सिर्फ अपनी मातृभाषाओं में काम करने वाले अनुवादक क्या करें कि सम्मानपूर्वक जी सकें। आप सभी की प्रतिक्रियाएं और सझाव जानना चाहूंगा। ▲ Collapse | | |
Rajan Chopra Indien Local time: 01:42 Mitglied (2008) Englisch > Hindi + ... आपका मुद्दा जायज़ है पर... | Apr 13, 2010 |
हकीकत यह है कि बड़ी विदेशी एजेंसियाँ हर भारतीय भाषा के अनुवादक को अलग-अलग काम सौंपने की बजाए किसी ऐसी भारतीय अनुवाद एजेंसी से सम्पर्क साधती हैं, जो सभी भाषाओं में उन्हें अनुवाद उपलब्ध करा सके�... See more हकीकत यह है कि बड़ी विदेशी एजेंसियाँ हर भारतीय भाषा के अनुवादक को अलग-अलग काम सौंपने की बजाए किसी ऐसी भारतीय अनुवाद एजेंसी से सम्पर्क साधती हैं, जो सभी भाषाओं में उन्हें अनुवाद उपलब्ध करा सके। ऐसे में वे सिर-दर्दी से बच जाती हैं। स्वाभाविक है कि भारतीय एजेंसी अपना हिस्सा भी रखेगी क्योंकि वह कोई परोपकारी या धर्मार्थ संस्था नहीं है।
आपने यह कैसे अंदाज़ा लगा लिया कि वे डेढ़ दो रुपए में काम पकड़ती हैं? फिर आज के महंगाई के युग में 50 से 70 पैसे प्रति शब्द में काम करने की कल्पना करना भी बेमानी है।
अगर आप बिचौलियों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो विदेशी अनुवाद एजेंसियों से सीधे सम्पर्क स्थापित करके इस बात से आश्वस्त करें कि उन्हें कम दरों पर बढ़िया अनुवाद मिलेगा। जब एक-बार आपने अपने काम का लोहा मनवा लिया, तो फिर कहना ही क्या है। हो सकता है कि वे अन्य एजेंसियों को भी आपका नाम सुझाएं।
शुभकामनाओं सहित
चोपड़ा ▲ Collapse | | |
कुछ लो और कुछ दो | Jun 14, 2010 |
में चोप्रा जी से बिलकुल सहमत हूँ. में यहाँ पर ये ज़रूर बताना चाहुगा की किसी भी अनुवादक कंपनी के लिए इतना आसान नहीं होता काम लाना,चूँकि हम लोग आप लोगो के बदले में जो इन्टरनेट पर परचार करते हैं उसमे भी काफी पैसा खर्ज होता हे आप खुद ही सो चो की कोई भी काम आजकल आसानी से नहीं मिलता उसके लिए आपको अपना काफी प्रचार करना पड़ता हे तो अगर आप प्रचार में लगे रहेंगे तो काम कब करोगे, इससे बह्टर हे ये काम हमें करने दो | | |
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